सात जनम
सात जनम
मैंने अपनी पत्नी से पूछा ,
पुनर्जन्म में फिर मिलोगी,
सात जन्मों का वादा किया है,
पत्नी धर्म निभाओगी,।
वह तुनक कर बोली भड़क कर ,
सात जनम हुए हैं पूरे ,
और ना भी हुए तो भी,
दुबारा तुम न आना मेरे जीवन में,।
मैंने पूछा इतनी भी नफरत क्या है,
वह बोली दिन भर सर पर बैठ ,
लिखते रहते हो घर पर,
सत्तर जन्म का साथ निभा लिए इसी जन्म में,।
अब भी दिल नहीं भरा तुम्हारा,
मैं तो अघा गई तुमसे ,
गधे को गले लगा लूंगी पर ,
किसी लेखक से नहीं मिलूंगी।