सारे जहांँ से अच्छा
सारे जहांँ से अच्छा
मातृभूमि की आन की खातिर न्यौछावर है तन, मन, धन सारा,
विश्व पटल पर चमक रहा सारे जहांँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा,
विभिन्न जातियांँ, धर्म, संस्कृति यहाँ अनेकता में एकता का वास,
वसुधैव कुटुंबकम् की पवित्र भावना का बस मिलता यही उजास,
चुनरी सम ये देश विभिन्न भाषाओं, बोलियों की इस पे कारीगरी,
जो बनाकर देश की संस्कृति को खूबसूरत विश्वभर में चमक रही
विश्व भर में किया जाता अनुसरण, संस्कृति इसकी इतनी महान,
प्रेम भाव से मिल मनाते त्यौहार यहांँ करते एक दूजे का सम्मान,
रिश्तों के प्रति दिखे समर्पण भाव यहीं,यहाँ हर रिश्ता है अनमोल,
निभाया ही नहीं जिया जाता है हर रिश्ते को हर बंधन है अनमोल,
दिवाली के पटाखे या ईद की हो सेबैइयाँ, सब में एक ही मिठास,
संक्रांति का पतंग, होली का रंग न देखे धर्म, बस दिखे है एहसास,
अनेक जातियांँ, अनेक धर्म, अनेक संप्रदायों से सजा ये गुलदस्ता,
कोई और नहीं हिंदुस्तान है हमारा,यहांँ का कण-कण है ये कहता,
शीर्ष बिराजमान है जिसके हिमालय राज, पहनकर बर्फ़ का ताज,
पतित पावनी गंगा सींचे जिसको, उस धरती पर है मुझको नाज़,
राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर की भूमि है ये, बहती संस्कारों की धारा,
आकर्षक इतनी संस्कृति इसकी, खिंचा चला आए यहांँ जग सारा।