सारा जमाना लिखता है
सारा जमाना लिखता है
तुम पे मैं क्या लिखूँ
जब सारा जमाना लिखता है
एक एक अक्षर जो मैं चुनता हूँ
उसमें पुराना पन ही दिखता है
तुम पे मैं क्या लिखूँ
जब सारा जमाना लिखता है
चाँद तारे फूल खुशबु
सारा बहार मैं चुनता हूं
तेरे लिए हर सपने
कितने आकार मैं बुनता हूं
की तुम हो कि तुम्हीं हो
आसपास मेरे
इस उड़ते मन की
ऊंचे आकाश मेरे
उड़ता फिरता हूँ मैं
सारा आसमान दिखता है
तुम पे मैं क्या लिखूँ
जब सारा जमाना लिखता है
नज़र ना हटे तुझसे
तुझे उपमा किसकी दूँ
तेरे समान न कोई दूजा
मैं ये ख्याल अपना किसको दूँ
अपनी सारी दुनिया हो तुम
तुझसे है सारी दुनिया प्यारी
तेरे ही गीत तेरी ही सरगम
तेरे ही नाम की धड़कन हमारी
तेरे ही नाम तेरी सूरत ,मुझे
तेरे ही ओर ये मन खींचता है
तुम पे मैं क्या लिखूँ
जब सारा जमाना लिखता है