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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Fantasy

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

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सार छंद.....

सार छंद.....

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शब्द-साक्षी


स्वयं सिद्ध नर कर निज दर्शन,

     जीवन के तुम साक्षी ।

परहित को पर ताप हरण कर,

     मनुजता हो गवाक्षी ।।


 जन्म शिवानी तुमसे पाकर,

     धन्य मिला यह काया ।

हिय के हे निवासिनी माता,

     रहना बनकर साया ।।

दुस्सह पाप मिटाओ दात्री,

     जय हो मात शताक्षी ।

स्वयं सिद्ध नर कर निज दर्शन,

     जीवन के तुम साक्षी ।।



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