साँसें
साँसें


नहीं रूक सकती ज़िंदगी
जब तक साँसें चलती हैं
देकर कुछ हमसे लेकर
तक़दीर कभी छलती है।
आग़ाज़ को अंजाम देने
सारी उम्र यूँ ही ढलती हैं
ख़्वाब हक़ीक़त बनाने में
ख़्वाहिशें दिल में पलती हैं।
बुनते हुए हज़ारों सपनों को
फ़िक्र की आग में जलती है
आसान बनाने ज़िन्दगी को
ख़ुशियों के रंगों में घुलती है।
सीखा हुनर जीने का क्योंकि
पल-पल साँसें पिघलती हैं
बेख़बर गर हो भी जाए तो
हर बार ख़ुद से सँभलती है।