साम्राज्य-सम्राट अशोक का
साम्राज्य-सम्राट अशोक का
भाई थे अनेक परन्तु था वह सबसे बलवान,
बुद्धिवान, कुशल युद्ध विद्या में और योग्य,
बन सम्राट राज्य करने को मौर्य राजवंशी,
सम्राट बिंदुसार का पुत्र अशोक महान।
हुआ राज्याभिषेक, बने सम्राट मौर्य साम्राज्य के।
लड़े युद्ध कई विस्तृत करने को साम्राज्य,
बिछी लाशें अनगिनत,
हुआ स्थापित आज तक के इतिहास का सबसे बडा़ साम्राज्य,
कहलाये अशोक महान सम्राटों के सम्राट।
हुआ विशाल युद्ध कलिंग का,
हुआ विध्वंस भयंकर, लग गये ढ़ेर-के-ढ़ेर लाशों के,
देख विनाश की ऐसी लीला हुई विरक्ति युद्ध से अशोक को,
छोड़ दिया लालच साम्राज्य विस्तार का,
अपना लिया बौद्ध धर्म,
किया प्रचार बौद्ध धर्म का समस्त साम्राज्य में,
किया प्रेरित अपनी सन्तानो को भी, किया उन्होंनें भी प्रचार,
सरल नहीं त्यागना मोह विशालकाय साम्राज्य का,
रचा इतिहास सम्राटों के सम्राट अशोक महान नें।
निर्मित किये बौद्ध स्तूप अनेक,
किया निर्माण अशोक चक्र और स्तम्भ का,
है अशोक चक्र भारत के झंडे की शान,
बना प्रतीक चिन्ह अशोक की लाट स्वतंत्र भारत देश का,
स्थापित किये चिकित्सालय अनेक साम्राज्य में अपने,
चिकित्सा मनुष्यों और पशुओं के लिये,
लगाया प्रतिबंध पशुबलि पर,
समर्पित किया जीवन अपना जन सेवा
और रक्षा में अपने साम्राज्य की।