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Golu Agyey

Drama

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Golu Agyey

Drama

साल का आखिरी दिन

साल का आखिरी दिन

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हाँ साल का आखिरी दिन बिल्कुल,

बिल्कुल मेरे ख्वाबों जैसा था...

दरख्त पर पड़ी धुल में सनी

अनखुली अनपढ़ी किताबों जैसा था...


आखिरी दिन साल का,

जैसे हमसे कोई प्यारा हमराह बिछड़ रहा हो...

साथ छूटने के गम में

इस शाम को सिसक रहा हो...


सिसक सिसककर मानो कह रहा हो

कि थाम लो मुझे और जाने ही न दो...

गुज़ार लो कुछ हसीन गुदगुदाने वाले लम्हे

और कशिश को आने ही न दो....


गुजरना ही होता है हर वक्त को

इसलिए यह वक्त भी बिसर गया...

ढेर सारी यादों को मेरे जेहन की

पोटली में बांधे ये साल भी गुजर गया...


गुजरते हुए ये दे गया

कुछ खट्टी कुछ मीठी सी बातें...

हर शाम ढलते गाँव के

पीपल की छाँव में उनकी मुलाकातें....


वक्त और गुजरता साल

गुजरने के साथ एक सीख दे जाता है...

जिंदगी के लम्हों को संभालने

की एक तरकीब दे जाता है...


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