STORYMIRROR

Golu Agyey

Drama Romance

3  

Golu Agyey

Drama Romance

दस्तकें तुम्हारी यादों की

दस्तकें तुम्हारी यादों की

2 mins
2.3K


आज फिर तुम्हारी यादों ने दस्तक दी,

हां वहीं दिल के दरवाजे पर,

मैंने खामोशी को जरिया बनाया और कुछ न बोला,

लाख दस्तकों के बाद भी भी मैंने दरवाजे को न खोला !


डर था कहीं तुम्हारी यादें दरवाजे के खुलते ही, अंदर न घुस जाए और अंदर घुसते ही उथल-पुथल न मचा दें।

मगर तुम्हारी यादें तो ढीठ आशिकों की तरह अड़ी रहीं,

मेरी बेरुखी पर भी पागलों की तरह खड़ी रहीं !


वो क्या है ना,

तुम्हारी तरह तुम्हारी यादें भी मनमानियां करती है,

मैं मना करता फिर भी शैतानियां करती है,

जिस तरह तुम मुझे सताने के बाद मनाती हो ना !


उसी तरह तुम्हारी यादें भी बेसबब मुझे सता रही थी,

मैं मान जाऊँ और खोल दूं दरवाजे को इसलिए मुझे मना रही थी,

मेरी खामोशी से उसमें कुछ कसक आ गया,

उसकी मासूमियत पर मुझे भी थोड़ा तरस आ गया !


मैंने दरवाजे को थोड़ा खोला, कुंडियों की,

पकड़ थोड़ी ढीली की,

सामने तुम्हारी यादों से थोड़ी आंख मिचौली की,

पर तुम्हारी यादें हैं ना !


बिल्कुल तुम्हारी तरह है,

दरवाजे के खुलते ही जैसे उसमें इंकलाब सा आ गया,

उसके घुसते ही जैसे सीने में चाहतों का सैलाब सा आ गया,

वो घुसते ही सीधे मेरे अंतर्मन से लिपट गई !


और न चाहते हुए भी मेरी सारी शिकायतें वहीं पर सिमट गई,

लिपटते ही तुम्हारी यादें मुझसे कहने लगी कि,

कभी छोड़ना मत, कभी दूर मत जाना,

लाख शिकायतें हो मगर मुझे जरुर बताना !


शिकायत का हल तो नहीं पर अपने हाथों में,

तुम्हारा हाथ लूंगी,

अंजान रास्तों के मुसाफिरों की तरह उम्र भर,

तुम्हारा साथ दूंगी !


और इस तरह मैं भी तुम्हारी यादों के आगोश में खो गया,

तुमने बांहें फैलाई और उन बांहों के अंजुमन में मैं सो गया,

हां, आज फिर तुम्हारी यादों ने दिल के दरवाजे पर दस्तक दी !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama