साहिलों में डूब गया समुद्र
साहिलों में डूब गया समुद्र
साहिलों में डूब गया समुद्र
में तैरता रहा अपनी ख्वाहिशों में,
तुम क्या जानो मेरी मंज़िल
मैं खो गया वक़्त की फरमाइशों में।
सफर मेरा हुआ ही नहीं कभी
मैं तो ढूंढ़ता रहा खुद को
राह की परछाइयों में,
तुम क्या अब भी सोच रहे हो
मैं बैठा हूँ अब तक तेरी रुस्वाइयों में।
मिट्टी के पुतले है सब यहाँ
मैं भी एक दिन टूटकर
मिल जाऊंगा इसमें
तनहा शायर हूँ।