STORYMIRROR

Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

5.0  

Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

साहिलों में डूब गया समुद्र

साहिलों में डूब गया समुद्र

1 min
497


साहिलों में डूब गया समुद्र

में तैरता रहा अपनी ख्वाहिशों में,

तुम क्या जानो मेरी मंज़िल

मैं खो गया वक़्त की फरमाइशों में।

 

सफर मेरा हुआ ही नहीं कभी

मैं तो ढूंढ़ता रहा खुद को

राह की परछाइयों में, 

तुम क्या अब भी सोच रहे हो

मैं बैठा हूँ अब तक तेरी रुस्वाइयों में। 

 

मिट्टी के पुतले है सब यहाँ

मैं भी एक दिन टूटकर

मिल जाऊंगा इसमें

तनहा शायर हूँ।       


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract