तुम क्या जानो मेरी मंज़िल मैं खो गया वक़्त की फरमाइशों में। तुम क्या जानो मेरी मंज़िल मैं खो गया वक़्त की फरमाइशों में।
मिट्टी के पुतले हैं हम, मिट्टी में मिल जाएंगे, मिट्टी के पुतले हैं हम, मिट्टी में मिल जाएंगे,
अंतर्द्वंद चल रहा, क्या गलत किया, क्या ठीक किया। अंतर्द्वंद चल रहा, क्या गलत किया, क्या ठीक किया।