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Sonu Saini

Fantasy Inspirational Children

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Sonu Saini

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सादगी से जीना चाहता है इनसान - बुलात अकुदझ़ावा, अनुवाद — सोनू सैनी

सादगी से जीना चाहता है इनसान - बुलात अकुदझ़ावा, अनुवाद — सोनू सैनी

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बुलात अकुदझ़ावा

सादगी से जीना चाहता है इनसान

अनुवाद — सोनू सैनी


सादगी से जीना चाहता है इनसान,

लेकिन रातों की तनहाई में 

मानो आँखों की गहराई में

धधकता हुआ शोला करता है परेशान।

जैसे उल्का आगे बढ़ते हुए अकेलेपन में,

न चाहते हुए अपने आख़िरी पलों में 

धीरे-धीरे, हौले -हौले जल जाता है नादान

सभी की नज़रों में आ जाता है अनजान।


जलते हुए बदल जाती है न केवल काया।

ये वक्त है जो उसकी नज़ाकत-नरमी को

भस्म कर सिरे से, कर देता है उसे पराया

जैसे माचिस की एक तीली से निकला पतंगा

लपटों के आगोश में ख़ूबसूरत महल की छाया 

कर देता है बरबाद और पल में उसे ज़ाया ।


सादगी से जीना चाहता है इनसान,

करता है ऊँचाई के पैमानों से घमासान।

उस्ताद हैं इनसान कुछ ख़ास और महान 

एक ये ज़मीन और एक वो आसमान ।


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