अलिक्सान्दर पूश्किन
अलिक्सान्दर पूश्किन


सलामत रखना मुझे, ए मेरे ताबीज़,
ज़ुल्म के साये से पश्चाताप की आग से,
बचाकर रखना तन्हाई के अंगारों से,
यूँ ही नहीं मिला था उन पलों में ताबीज़ ।
जब सागर बनाए भयानक तस्वीर
लहरें समुद्र की मुझ पर उमड़ पड़ें,
जब खूँखार बादल गरजें दहाड़ें,
सलामत रखना मुझे, ए मेरे ताबीज़।
परदेस में तन्हाई के पल में नाचीज़,
उस खामोशी में उस उदासी में,
ख़ुद से ख़ुद की मेरी लड़ाई में,
सलामत रखना मुझे, ए मेरे ताबीज़।
नायब पाकीज़ा धोखा है लजीज़,
रूह का जादुई सा झरोखा है
बदल गया है वो छिप गया है
सलामत रखना मुझे, ए मेरे ताबीज़।
काश दिल के ये घाव अजीज़
मेरे फिर कहीं से हरे न हों जाएँ ।
उम्मीद, चैन, नींद न कहीं खो जाएँ;
सलामत रखना मुझे, ए मेरे ताबीज़।