रूठी
रूठी
जीवन से खुशियाँ रूठी है
हर पल जीवन का जख़्मी है
प्यार भरा रिश्ता जोड़ा था
वो आज सगाई टूटी है
सीरत से न भरी वो अच्छी
लेकिन वो सूरत अच्छी है
दिल मिलता न उसी से ही अब
बातें कुछ कड़वी बोली है
पास नहीं जब रहता मेरे
याद बहुत उसकी आती है
ग़म इतने अपनों से ही मिले
नम आँखें हर पल रहती है
करता वो आज़म यार दग़ा
की जिससे यारी गहरी है
आज़म नैय्यर
