Juhi Grover

Abstract

4.2  

Juhi Grover

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रूह की कीमत

रूह की कीमत

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बहुत अपनी मोहब्बत का इज़हार कर चुके,

बहुत मुझे अपनी शायरी में जगह भी दे चुके,

पर मिला न कोई ऐसा रूह की कीमत लगाए,

बाज़ार में नीलाम होती आबरू को जा बचाए।


जिस्म की खरीदो फ़रोख्त करते हज़ारों मिले,

रूह के खरीददार न इस जहान में कहीं मिले,

मोहब्बत के मायने समझाते बहुत पाए गये,

बस तोते की तरह रटने की कला में ही दिखे।


अंग्रेज़ी के तीन लफ्ज बोलना ही प्यार होता है,

यों मजनू बन के घूमना ही क्या प्यार होता है,

या फिर दूसरे को बदनाम करना प्यार होता है,

नहीं समझते कि कुर्बान होना भी प्यार होता है।


बहुत अपनी मोहब्बत का इज़हार कर चुके,

बहुत मुझे अपनी शायरी में जगह भी दे चुके,

पर मिला न कोई ऐसा रूह की कीमत लगाए,

बाज़ार में नीलाम होती आबरू को जा बचाए।


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