रुमानी सी
रुमानी सी
कुछ भीनी भीनी सी चंचल हवा रुमानी सी
बहक रहे वो कदम समझा जिन्हें संभले से
कुछ तो अपनीसी लगी छाव मनभायी सी
गुजर रहे वो राह भी दिखाये तेवर बदले से
कुछ अंजानी सी प्यास दिल मे जगीसी
चहक रही वो जिंदगी रोये सिसकर किनारेसे
कुछ तो खास थी वो छवि जो अपनी सी
बदल रही वो वजह भी लगे जो जीने के सहारे से
कुछ ना पुछ हाले दिल के लागे बहारभी रोनिसी
कसक रही वो साँसें भी के मिलकर बिछड़े जिंदगिसे
कुछ कुछ याद आती थी बात अनकही प्यारी सी
झिझक रही वो निगाहें भी लागे वो जिन्दा लाश से
कुछ भीनी भीनी सी चंचल हवा रुमानी सी
कहके सुना रहे वो हाले दिल अपनी जुबाँ से।