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Dr. Trisha nidhi

Abstract

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Dr. Trisha nidhi

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ऋतुओं का चक्र

ऋतुओं का चक्र

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प्रकृति के भी क्या नियम है

ऋतुएं उसके दिए समय पर आ भी जाती है

रुक कर जब देखती हूँ

हर किसी की अद्वैत कहानी को

संतुष्टि मिलती है अत्यंत मेरे मन को।


ग्रीष्म ऋतु सबसे कठिन है जिनमे

तेज़ धूप का उजाला हर प्रांत में

पर नदियाँ विलुप्त हो जाती है

प्यासे की नींद तक खो जाती है

कठोर होगा भले ही यह

पर वर्षा ऋतु के सदैव है स्वागत में यह।


वर्षा का है उद्धार बड़ा

झीलों में पानी फिर से है भरा

मेघों का कड़कना या बिजली का चमकना

मेंढक की टर टर या किसानो का हँसना

रिमझिम करती ,कष्ट है हरति।


ये देखो पतझड़ मौसम है आया

पेड़ों में विभिन्नता है छाया

पशु चल रहे क़तार में अनेक

सर्दी की तयारी में जुटें हर एक

रंगबिरंगे रास्तें के बीच गति बनाए चलते रहे।


सर्दी की धूप स्वर्ग का भ्रमण करा ही रही थी

हिमपात की खबर पहाड़ों से आ रही थी ,

सूखे पेड़ कटते दिखे

करे भी क्या

अलाव की तम्मना जो थी।


साल दर साल इसी तरह प्रचार करते ये

प्रकृति के चक्र को अवश्य पूरा करते है ये।


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