रसा कम्पन्न
रसा कम्पन्न
हर और रसा कम्पन्न आ रहा
कहते हैं धरा पै पाप छा रहा।
अधरम कारण कांपे धरती
सब मरते पर हिंसा न मरती।
यदि ना सुधरे ये माया के मारे,
तो जल्दी मिटेंगे अधरमी सारे।
असमय जीव जग से जा रहा,
कहते हैं कलयुग का अंत आ रहा।
हर और रसा कम्पन्न आ रहा
कहते हैं धरा पै पाप छा रहा।
अधरम कारण कांपे धरती
सब मरते पर हिंसा न मरती।
यदि ना सुधरे ये माया के मारे,
तो जल्दी मिटेंगे अधरमी सारे।
असमय जीव जग से जा रहा,
कहते हैं कलयुग का अंत आ रहा।