Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

Abstract

ऐ जि़न्दगी ले चल मुक्षे वहाँ

ऐ जि़न्दगी ले चल मुक्षे वहाँ

1 min
347


ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहां

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों ं

इंसान का इंसान से इंसानियत का नाता हों

हर सुबह मस्जिद मे आज़ान हों

चर्चो में धंटों की आवाज ,

मंदिर मे शंख नांद हों

गुरुद्वारे गुरू वाणी हों ।

ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहाँ

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों

जहाँ हर दिलों मे इंंसानियत के

ज़ज्बे आम हों ।

जहाँ हर मज़हप की शान में

श्रृद्दा से सर झुकते hon ।

ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहाँ

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों

जहाँ अमन चैन की बाते हों

जहाँ इंसान इंंसानियत के खून का प्यासा न हों

जहाँ इंसानी व़ासिन्दों की नफ़रती तासीर ना हों

ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहाँ,

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों

जहाँ हर इंसानों की प्यास बुक्षाये

बहती ऐसी गंगा धारा हों ।

जहाँ हिंदू ,मुस्लिम ,सिख, इसाई

गंगा जमनी तहज़ीब की पहचान हों ।

ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहाँ

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों ।

सारे जहाँ मे हम अमन चैन की एक मिसाल हों

जहाँ मुल्क के हर बासिन्दों के सर

देश की शान मे कटने को तैयार हों ।

जहाँ राम की रामायण हों

प्रभु इशू की पवित्र बाईबल हों

अल्हा की आसमानी पाक किताबें कुरान हों ।

ऐ जि़न्दगी ले चल मुझे वहाँ

जहाँ नफरतों की दिवारे न हों


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract