कर्म ही जीवन
कर्म ही जीवन
मनुष्य जीवन कर्म के लिए
कर्तव्य में है कर्म,
कर्म बिना जन्म ही है व्यर्थ
करो निस्वार्थ कर्म।
क्षणिक जीवन मनुष्य जीवन
कल रहे या ना रहे,
आया संसार में प्रभु की कृपा से
कर्म पथ आगे रहे।
पूर्व जन्म की फलों से जीवन
दुर्लभ जीवन पाया,
करो नहीं व्यर्थ मनुष्य जीवन
ईश्वर जीवन दिया।
गृह कर्तव्य पूर्ण करना है
सम भाव रखना है,
बड़ों का आदर भक्ति करना
कर्म ज्ञान की शिक्षा है।
राष्ट्रहीत हो मनुष्य प्राणों में
कर्म राष्ट्र के लिए हो,
रखो जनसेवा कर्म पथ में ही
प्रेम भक्ति से सेवा हो।
क्षण भंगुर है मनुष्य जीवन
सत्य पथ जीवन हो,
त्याग हो जीवन दूसरों के लिए
मातृभूमि सेवा हो।
रक्षा मातृ भाषा अति है जरूरी
कर्तव्य हो हमारी
हो धर्म की रक्षा जीवन यात्रा में
हो कर्तव्य हमारी।
कर्तव्य ज्ञान देना समाज में
कर्तव्य निष्ठा होना
तभी तो जीवन सार्थक हमारी
मनुष्य जीवन होना।
गुरुजनों सेवा है कर्तव्य में
पितृ मातृ सेवा हो,
भक्ति पर्मात्मा जीवनपथ हो
भक्ति निरन्तर हो।
संस्कृति रक्षा धर्म हो हमारी
अहिंसा कर्म ज्ञान हो,
प्रेम श्रद्धा भक्ति रहे आभूषण
पवित्र गीत ज्ञान हो।