रोटी की सीख
रोटी की सीख
चांद रोता एक तरफ अपनी उजियाली के वास्ते
देख उसको रोटी हंसती है उसके बेवकुफी के वास्ते
तू शाप से डरता है
मैं लोगों के भूख से डरती हूं
क्या कभी भूखे ने चांद को निहारा है
क्या उसने लिया कभी चांद का सहारा है
रोटी हूं मैं, कीमती रहूँगी सदैव
जा समय न बर्बाद कर
कुछ काम कर
तू शाप की न बात करेगा
भूखे की रोटी बन जाएगा अगर।