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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Abstract

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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"रोते रोते मैं हँस पड़ा"

"रोते रोते मैं हँस पड़ा"

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जब मैं पहले रहा बेरोजगार,

दिल अक़्सर रोता जार जार!

जीवन में करता रहा संघर्ष,

फिर अचानक आ गई बहार!!


पढ़ने लिखने का मिला परिणाम,

संघर्षों का मेरे मिल गया इनाम!

छाई जीवन में रही जो निराशा,

सरकारी कंपनी में मिला काम!!


रोते रोते इक दिन हँसने लगा,

जीवन में हुआ मेरे चमत्कार!

पढ़ लिखने के बदौलत ही,

प्रभु ने किया मुझ पे उपकार!!


मात पिता ने कष्टों को सहकर,

मुझे दिलाई उच्च शिक्षा दीक्षा!

मुझे मिल गई है अब नौकरी,

पूरी करनी उनकी हर इच्छा!!


मात पिता ने मेरी हर जरूरत,

हर अरमान को वो पूरा किए!

कॉपी फीस किताब के लिए,

कभी कभार वो कर्ज़ लिए!!


मेरे लिए जो किया उन्होंने,

अब उनका संबल बन जाऊँ!

हर ख़ुशी जीवन में उनको,

अभिलाषा मैं पूरी कर पाऊँ!!



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