रंगे महफिल
रंगे महफिल
रंगे महफिल जमा गया कोई
बिगड़ी बात बना गया कोई
मोहब्बत-ए -नामा सिखा गया कोई
दर्दे दिल की दवा बता गया कोई
दिल की दुनिया अधूरी सी लगती है
जैसे कोई दिल में बसा, चला गया कोई
गर मोहब्बत का पाठ पढ़ाया ही था
गम -ए मोहब्बत का इलाज बता क्यों ना पाईं
अब सिर्फ एक गुजारिश है तुमसे
कभी अपनों को न देना जुदाई
अगर खाई है कसम साथ जीने मरने की
निभाना ही पड़ेगा नहीं तो होगी रुसवाई।