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Kusum Joshi

Romance

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Kusum Joshi

Romance

रंग प्यार का

रंग प्यार का

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हवाओं ने दिशाओं से,

कहा कुछ है सुना कुछ है,

कहा क्या है ये बहती हैं,

की मस्ती में ही रहती हैं,

गाती गुनगुनाती हैं,

रुकें ना चलती जाती हैं।


ये आलिंगन भी करती हैं,

दिशाओं से गुज़रती हैं,

कि बिछड़े मीत के जैसे,

ये खुशबू छोड़ जाती है,

कि फिर आए लौट आने का,

पुनः सपने सजाने का,

ये वादा करके जाती हैं।


हवाओं को पता है ये,

दिशाओं को पता है ये,

चली जो आज जाएगी,

ना फ़िर ये लौट पाएगी,

मगर फिर भी मोहब्बत है,

ना इसमें कोई बंधन है।


अनोखा प्रेम है ये तो,

दिशाएं कह रही देखो,

कि मैं तो यूं खड़ी कबसे,

तेरे आने की आशा में,

मुझे उम्मीद है ये कि,

तू एक दिन लौट आएगी,

कि भीनी सी तेरी खुशबू,

तू अपने साथ लाएगी,

सुना ये जब हवाओं ने,

कि मस्ती में फ़िज़ाओं ने,

ये तब से गीत गाती हैं,

रुकें ना चलती जाती हैं,

कि फ़िर से लौट आने के,

ये मन में लिए सपने,

ये तब से बहती रहती हैं,

कि मस्ती में ही रहती हैं,

गाती गुनगुनाती हैं,

रुकें ना चलती जाती हैं।।


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