STORYMIRROR

Vrajlal Sapovadia

Abstract

3  

Vrajlal Sapovadia

Abstract

रिश्वत थोड़ी घूस है?

रिश्वत थोड़ी घूस है?

1 min
138


रिश्वत बंद करना बहुत है आसान

बस आप हम पर करो एक एहसान

 

हमने आप की मान ली हजार बात

आप मान लो हमारी एक बात

 

हम तो मांगते है थोड़ा कागज़ाद

हमने कंहा मांगी आपसे जायदाद?

 

माँगा दो चार आप का मुखारविंद चित्र

बुलाते कचेरी बारबार आपको समझ के मित्र

 

भेंट देना है क्या बुरी बात?

हम थोड़े मारते हैं किसी को लात?

 

फ़र्ज़ नही बनता आपका यार?

दे दो थोड़ा ज्यादा हमें उपहार

 

सौगात लेना है संस्कारी चीज

रिश्वत जरूर बनती नाचीज

 

बंद करो घुस को रिश्वत मानना

ये तो है इनाम की अवमानना

 

सुखी है रिश्वत को घूस नही समझा

बस उस को ही है मज़ा मज़ा

 

रिश्वत को रिश्वत समज़ने में दुःख

घूस को दान की तरह लेने में है सुख

 

नज़राना लेना तो है संस्कार

प्रदेय ले कर हम करते है उपकार

 

रिश्वत बंद करना बहुत है आसान

रिश्वत को घूस नहीं समज़ने में ही शान!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract