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Vrajlal Sapovadia

Abstract

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Vrajlal Sapovadia

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रिश्वत थोड़ी घूस है?

रिश्वत थोड़ी घूस है?

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रिश्वत बंद करना बहुत है आसान

बस आप हम पर करो एक एहसान

 

हमने आप की मान ली हजार बात

आप मान लो हमारी एक बात

 

हम तो मांगते है थोड़ा कागज़ाद

हमने कंहा मांगी आपसे जायदाद?

 

माँगा दो चार आप का मुखारविंद चित्र

बुलाते कचेरी बारबार आपको समझ के मित्र

 

भेंट देना है क्या बुरी बात?

हम थोड़े मारते हैं किसी को लात?

 

फ़र्ज़ नही बनता आपका यार?

दे दो थोड़ा ज्यादा हमें उपहार

 

सौगात लेना है संस्कारी चीज

रिश्वत जरूर बनती नाचीज

 

बंद करो घुस को रिश्वत मानना

ये तो है इनाम की अवमानना

 

सुखी है रिश्वत को घूस नही समझा

बस उस को ही है मज़ा मज़ा

 

रिश्वत को रिश्वत समज़ने में दुःख

घूस को दान की तरह लेने में है सुख

 

नज़राना लेना तो है संस्कार

प्रदेय ले कर हम करते है उपकार

 

रिश्वत बंद करना बहुत है आसान

रिश्वत को घूस नहीं समज़ने में ही शान!


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