आयोजन
आयोजन
पत्थर सब लगा दिया मंदिर मस्जिद
अस्पताल की मत करो अब जिद
प्रतिमा स्मारक मूर्ति इतना बनाया
जरा गौर करो कितने उत्सव मनाया
धन खर्च कर दिया करने झूठे दिखावे
जप तप करो अब बीमारीमें दवाई क्या खावे
मैदान में लगा दिया इतना बड़ा सा तम्बू
बन गई अस्पताल काफी है चार पांच बम्बू
न खटिया न दवाई न आश्वासन न ऑक्सीजन
डाक्टर की इंतजार में मरते रहे हजारो जन
मरते पहले खुद ने ख़रीदा फूल और जनाजा
कफ़न उठाने वाला भी खुद को ढूँढना पड़ा
एहसास हुआ मरकट में सारी उम्र का जब
प्रतीक्षा करते रहे जलने की जमीं खीचक गई तब
पत्थर सब लगा दिया मंदिर मस्जिद
चकमक न मिला चिता जलाने करता रहा जिद।