नाविक
नाविक
नाविक बोला
मैं ही नाव
झील और सरोवर भी मैं
हूँ जल मैं
मैं हूँ लहरे
बैठ गया जब एक मुसाफिर
बन के तानाशाह
बोला धीरे से
मैं हूँ छिद्र
अब नाविक मैं
लगाम मैं
मैं ही नाव
झील और सरोवर मैं
जल भी मैं
मैं हूँ लहरे
छिद्र मैं
नाविक मैं
जप भला तू राम नाम
स्वर्ग का खुला है द्वार
जप भला तू राम नाम
नाविक मैं
नाव मैं
डूबेगा तू अकेला
मैं तो अब नाविक हूँ