राजधर्म
राजधर्म
शिकारी का दोष नहीं कोई इसमें
होते वो तो जन्म से शौक़ीन
फ़साना तो मर्जी है पक्षी तेरी
जाल बिछाना कोई पाप नहीं
व्यापार धर्म है सेठ बेचारा क्या करे?
मुनाफ़ा कमाना उस का उसूल रहा
खरीददार को कोई जबरदस्ती नहीं
मुनाफाखोरी कोई पाप नहीं है
राजधर्म है उस का राज करना
सेवा के लिए तो बैठे है केवल
स्वतंत्र पूरे है मतदाता
नात जात की बात करना कोई पाप नहीं
वचन देना कोई पाप नहीं है
फ़ैसला करना मतदाता का काम
फ़साना तो मर्जी है तेरी
राजधर्म है उस का राज करना
