रिश्तों की काली कोठरी में
रिश्तों की काली कोठरी में
भाई बहन का
पवित्र रिश्ता यूं तो
एक बहुत ही
प्रभु द्वारा प्रदत्त अनमोल उपहार है
लेकिन आजकल के युग में
इस रिश्ते में भी
दरार सी पड़ती दिख रही है
सब अपने अपने परिवारों तक
सीमित हैं
इतनी करीबी रिश्ते में भी
दूरियां हैं और
बढ़ती जा रही हैं
रिश्ते में जो एक मर्यादा,
संकोच और शर्म होती थी
वह अब खत्म होती जा रही है
यह रिश्ता भी अब
औपचारिक सा हो गया
भाई और बहन में
से अगर कोई एक
प्यार करने वाला है और
दूसरा न हो तो
प्यार करने वाला बहुत
आहत महसूस करता है
प्यार करने वाले का
रिश्तों की
काली कोठरी में दम सा
घुटता है
समाज के सामने
प्यार और हमदर्दी का
एक झूठा और बनावटी दिखावा
घर के अंदर खून खराबा
मन को यह सब नहीं
जचता है
बहन हो कहीं गर
गरीब या बेरोजगार या
विधवा या तलाकशुदा या
अविवाहित
बस यह सोच लो कि
उसकी गाड़ी तो पटरी से
उतरकर आ गई जमीन पर
हर तरफ से
अपमानित होना ही
उसकी नियति हो
जाता है
चारों तरफ से मार खाती
है
गालियों की उस पर
बौछार होती है
बिना बात के
उसकी पिटाई भी होती है
घर की वह कोई
सदस्य नहीं होती
एक कोने में उसे
डाल दिया जाता है
किसी भी गतिविधि में उसे
शामिल नहीं किया जाता
एक जानवर सा
उससे बर्ताव होता है
घर की हो
जैसे वह नौकरानी
ऐसा सबका व्यवहार
होता है
उसकी किसी बात का
कोई खास ख्याल रखा नहीं
जाता
उसका इस घर से नहीं
कोई ताल्लुक
हर समय चलते फिरते
उसे यह जताया जाता
यह समाज तो
शायद कभी न सुधरे
लेकिन एक बहन
अपने भाई,
उसकी पत्नी और
बच्चों द्वारा प्रताड़ित न हो
इसके लिए
कानून का दायरा
उसके हक की लड़ाई में
उसे सहयोग देने के लिए
अभी और विस्तृत करना होगा
कानून का क्रियान्वयन
सख्ती से हो
ऐसे मुजरिम चाहे वह
भाई ही क्यों न हो
उनके खिलाफ
सख्त से सख्त कानूनी
कार्यवाही हो और
घर के सब सदस्यों चाहे वह
हो किसी की बहन,
मां या बाप सबके
साथ न्यायपूर्ण
व्यवहार हो।
