रिश्ते
रिश्ते
कोई समझा नहीं रिश्ता हमारा
इन साँसो का तू ही है सहारा
क्या हुआ गर जो कभी मिल न सके हम
इस रूह पर एक हक है तुम्हारा
तुझे गले लगा कर छोड़ा था कभी
हाँ तुझसे मुख भी मोड़ा था कभी
उस दर्द का अहसास नहीं तुझको-
मैंने तो जीना छोड़ा था तभी
तेरी मुस्कान दिल में बसाए हैं
वो तस्वीर रूह में सजाए हैं
थामा था हाथ मेरा तूने कभी-
उसी सहारे जीवन बिताए हैं
रोकना भी तुझे गँवारा न हुआ
तेरे बाद कोई हमारा न हुआ
कैसे कह दे कि पराया है तू
तेरे सिवा कोई हमारा न हुआ।