Shailaja Pathak
Abstract
भिगोए थे ये रिश्ते पतीले में मैंने,
और बांध दिए थे एक गांठ में,
देखूंगी कल सबेरे जब इन्हें,
मिलेंगे मुझे फूले फले और उगे हुुए।
रामायण में मह...
मै नदी हूं
बोलो ना
अंगूठी
मेरा चांद
रेल की पटरी
कृति
मैं और तुम
अंगारे
यादें
चाहे तोड़ो गांठ बना लो थोड़ी सी पहचान बचा लो। चाहे तोड़ो गांठ बना लो थोड़ी सी पहचान बचा लो।
बरसे बन नित सावन बरसात तुम्हारे जाने के बाद। बरसे बन नित सावन बरसात तुम्हारे जाने के बाद।
उसका जीवन है बेमोल जो डूबा हो विकारों में उसका जीवन है बेमोल जो डूबा हो विकारों में
उसकी कल्पना करना, कहानी को फिर से जोड़ना, वो मजा कहां है। उसकी कल्पना करना, कहानी को फिर से जोड़ना, वो मजा कहां है।
मैं मेरे शब्द और भाव मिल, जब भी देखते हैं बेटी को तो देखते और देखते ही रहते हैं! मैं मेरे शब्द और भाव मिल, जब भी देखते हैं बेटी को तो देखते और देखते ही रह...
जितना मिला उससे ज्यादा को दिल फिर मचला तिनका तिनका जीवन बढ़ता गया....।। जितना मिला उससे ज्यादा को दिल फिर मचला तिनका तिनका जीवन बढ़ता गया......
फिर जीवन शुरू हो जाता है सृष्टि का क्रम निरंतर यूँ ही चलता रहता है। फिर जीवन शुरू हो जाता है सृष्टि का क्रम निरंतर यूँ ही चलता रहता है।
करेंगे जनमानस की अनदेखी स्वर्णिम इतिहास कैसे रचेंगे ? करेंगे जनमानस की अनदेखी स्वर्णिम इतिहास कैसे रचेंगे ?
बस प्रगति पथ पर चलना यही है नारी की कामना। बस प्रगति पथ पर चलना यही है नारी की कामना।
प्रभु तेरे कलयुग की लीला अद्भूत अगण निराली है! प्रभु तेरे कलयुग की लीला अद्भूत अगण निराली है!
सपनों को धरातल दिया है। ग्लानि भाव से गुरु ने हम सबको मुक्त किया है। सपनों को धरातल दिया है। ग्लानि भाव से गुरु ने हम सबको मुक्त किया है।
वो तारों की कहानियाँ जुगनू की जुबानियाँ सुनाने आया है कोई पहाड़ों के शहर। वो तारों की कहानियाँ जुगनू की जुबानियाँ सुनाने आया है कोई पहाड़ों के शहर।
शिक्षक जिंदगी की महत्वपूर्ण कड़ी है, जिनके बिना जीवन का पहिया चलना असंभव है। शिक्षक जिंदगी की महत्वपूर्ण कड़ी है, जिनके बिना जीवन का पहिया चलना असंभव है।
हवा सुखाये किसी का पसेवन किसी का दीपक बुझा दिया। हवा सुखाये किसी का पसेवन किसी का दीपक बुझा दिया।
उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
सच ! पतन वह हाथों अपने स्वयं सृजित करता है। सच ! पतन वह हाथों अपने स्वयं सृजित करता है।
कड़वाहट चाय में चीनी सी घुल गई पोता सेतु बना फिर एक बार सुलह हो गई। कड़वाहट चाय में चीनी सी घुल गई पोता सेतु बना फिर एक बार सुलह हो गई...
हमारा मान सम्मान है। मधुर तान। कोयल ने छेड़ी है। वसंत जान। हमारा मान सम्मान है। मधुर तान। कोयल ने छेड़ी है। वसंत जान।
नई दृष्टि की वृष्टि। ज्ञान की ज्योति। नई दृष्टि की वृष्टि। ज्ञान की ज्योति।
है वह तो हम भी हैं जग में, न है वह तो हम कहीं नहीं ! है वह तो हम भी हैं जग में, न है वह तो हम कहीं नहीं !