रिश्ते की पोटली
रिश्ते की पोटली
हवाओं की खुश्बू आना
गुलाबों का चटकना
हिना का महकना
मौन का अनहदनाद
खुद ही आना, खुद की याद
तितलियों की गुंजार
महकता जीवन,
स्पप्निल मंजर
नहीं जानता-समझता था
मैं यह सब
पंछियों का हुलस-गीत
झरनों का कलकल संगीत
तभी जाना-समझा यारा
जब तुम महकती मोगरे-सी
कोयल-सी कुहुकती
हरसिंगार का रूप धर
चंदन-सी सरसाती
चमेली-सी महकती
लौबानी खुशबू बिखेरती
नेह-राग उगेरती
नयनों में गुलाब-भर
मेरी सांसों को अर्थाती
तुलसी बन आई थी
निरर्थक-से पथरीले
मेरे जीवन में
और शर्म-शाइस्तगी
सलीके से संवार
नीरस मन को
पौरमपौर खुश्बुआ दिया
अर्था दिया मेरा होना।
तुम सदा यूं ही मेरा
होना बने रहना
संभाले रखना
नेह के रिश्ते की
यह पोटली।