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Ravi Purohit

Drama

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Ravi Purohit

Drama

रिश्ते की पोटली

रिश्ते की पोटली

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हवाओं की खुश्बू आना

गुलाबों का चटकना

हिना का महकना

मौन का अनहदनाद


खुद ही आना, खुद की याद

तितलियों की गुंजार

महकता जीवन,

स्पप्निल मंजर

नहीं जानता-समझता था

मैं यह सब


पंछियों का हुलस-गीत

झरनों का कलकल संगीत

तभी जाना-समझा यारा

जब तुम महकती मोगरे-सी


कोयल-सी कुहुकती

हरसिंगार का रूप धर

चंदन-सी सरसाती

चमेली-सी महकती


लौबानी खुशबू बिखेरती

नेह-राग उगेरती

नयनों में गुलाब-भर

मेरी सांसों को अर्थाती


तुलसी बन आई थी 

निरर्थक-से पथरीले 

मेरे जीवन में

और शर्म-शाइस्तगी

सलीके से संवार


नीरस मन को

पौरमपौर खुश्बुआ दिया

अर्था दिया मेरा होना।


तुम सदा यूं ही मेरा

होना बने रहना 

संभाले रखना

नेह के रिश्ते की

यह पोटली।


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