रौशन सवेरा
रौशन सवेरा
जब मैंने
पानी की बहती
लहरों से पूछा
कि उनमें
खनक कितनी है
जो आ जाये
तूफान कोई
तो नदी का अस्तित्व
तक हिला जाती है।
तब उसने
ज़िन्दगी की निराशा को
उगते सूरज का सलाम कहा
और दुख जो आवे
सुख दे जवे
मत हो परेशान
चमकता रौशन एक तारा
तेरी वजूद में
ज़रूर आयेगा।
तो फिर
निराश क्यों हुआ जाये
जीवन की पहेलीयों से
रात बीते दिन चढ़ेगा
कमल किचड़ में खिलेगा
संतोष करो आगे बढ़ो
कोहीनूर हीरा
अपनी ज़मीन चांदनी से
प्रफुल्लित कर जायेगा।
