राष्ट्र धर्म सबसे बड़ा धर्म
राष्ट्र धर्म सबसे बड़ा धर्म
धर्म के नाम पर लड़ते हैं यहांँ, इंसानियत हो रही कैद है,
पल-पल मानवता क्षीण हो रही यह कैसा हो रहा ज़ैद है,
नौजवान हो रहे गुमराह, धर्म के नाम पर बंट रहा है देश,
एकता की शक्ति ना पहचान कर एक दूसरे से रखते द्वेष,
राष्ट्र धर्म सबसे बड़ा धर्म, इससे बड़ा न हमारा धर्म कोई,
स्वहित नहीं, देशहित में विश्वास, इससे बड़ा न कर्म कोई,
एकता में निहित शक्ति राष्ट्र के ज़ैद का है सफल आधार,
एक मत विचार से ही खुलेगा, अलौकिक प्रकाश का द्वार,
उठो, जागो देश के युवाओं, इस मत पर तुम करो विचार,
आपस में ही लड़ जाओगे तो कौन करेगा देश का उद्धार,
एक दूसरे के ख़िलाफ़ नहीं तुम खड़े रहो एक दूजे के साथ,
कदम से कदम मिलाकर चलो मत करो जात पात की बात,
एकता हमारा बल हमारी पहचान है होने न देना इसे छिन्न,
वेशभूषा बोली अलग ज़रूर पर हम नहीं एक दूजे से भिन्न।
याद करो कितनी कठिनाइयों से पाई है हमने यह आज़ादी,
धर्म के नाम पर एक दूसरे से लड़ना, स्वयं की ही है बर्बादी,
अपने ही भाई बंधुओं का खून बहाना, कैसी है ये मुरव्वत,
अपने ही गुलिस्तान को खंड खंड करना कैसी ये अदावत।