राणा अमर सिंह..!
राणा अमर सिंह..!
वो महारथी
वो निडर
वो पराक्रमी
था वो परम प्रतापी
नाम अमर था
काम अमर था
महाराणा का वो अंश
वंशज थे राणा कुम्भा और सांगा
राणा का वो वंश/ कुल दीपक था
रत्तिभर ना कम वो तात प्रताप से
डिलडौल काया रौबदार आवाज प्रताप सा
शान से होती जय जयकार सभा में
दुश्मन थर्राते जिसके प्रभा से
मेवाड में वो नाम अमर है
अजब्दे प्रताप की संतान अमर थे
सौपी थी जिसे चाभी चितौड़ की
राणा ने कर्तव्य अपना निभा देना
थें राणाओं की शान ना गवा देना
अधिक मैं क्या जानूँ अमर सिंह को
स्वयं हजार हाथी का बल लिए
थें वो निडर / पराक्रमी / महारथी
महावीर निराले
राणा की शान / राणा से ही मतवाले
हैं पूज्यनीय / परम आदरणीय अमर जी।