रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर
मैं सब कवियों से कहता हूँ तुम सौम्य और मृदुभाषी बनो,
देश के हित और अहित पर जब आए बात तुम उससे ना डरो,
मन में ऊंचे भाव बनाकर तुम जब भी कलम या तलवार चुनो,
जिससे बदल जाए इतिहास सबसे पहले तुम उस मन की सुनो,
ऊंच और नीच का भेद न मानो तुम आज नया एक हुंकार भरो,
थककर क्यों बैठा है राहों में आगे बढ़ अपनी मंजिल को चलो,
आज कलम उठाओ एक नया तुम राग लिखो उन्माद लिखो,
जिस मिट्टी में तुमने जन्म लिया आज उसकी तुम गाथा लिखो I
