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Kamal Purohit

Abstract Classics Others

4.5  

Kamal Purohit

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राम कथा

राम कथा

1 min
336


जब पीड़ा भक्तों पर आई 

प्रभु धरती पर जन्मे भाई 

रावण के अत्याचार रोकने 

सीता रूप लक्ष्मी जी आई 

शेषनाग जी हुए अवतरित

लक्ष्मण जी बन करके भाई

रुद्र रूप बन कर हनुमान

जन्मे कोख अंजना माई 

शुरू हुई एक पावन गाथा 

राम सीता की हुई सगाई 

जब पहुँचे वे सब अयोध्या

तिलक की तब तैयारी कराई 

राम के तिलक की बात सुनी

दासी ने तब पट्टी पढ़ाई

दशरथ को कैकयी ने अपने

दो वचनों की याद दिलाई 

राम के लिए वनवास और

पुत्र भरत को गद्दी दिलाई 

पिता वचन के मान हेतु

राम ने मर्यादा दिखाई 

निकले संग सीता लक्ष्मण के 

वन में एक कुटिया बनाई 

ख़ुशी से रहने लगे वन में 

तभी शूर्पनखा वहां आई 

लक्ष्मण ने काटी जब नाक

रावण को उसने दी दुहाई 

रावण की मति गई मारी 

अपहरण की युक्ति जो बनाई 

सीता को कुटिया में न देख

राम लक्ष्मण की आँख भर आईं

वन में ढूंढने लगे जब दोनों 

कही पर भी नजर न आई

हनुमान ने सुग्रीव के साथ

राम लखन की भेंट कराई

सीता का पता लगाने को 

सुग्रीव ने सेना पठाई 

सागर को करना था पार

पवनपुत्र ने छलांग लगाई

रावण पर क्रोधित होकर

हनुमान ने लंका जलाई 

सीता जी का पता लग गया

राम को आकर बात बताई

राम ने वानर सेना के संग

कर दी लंका पर तुरंत चढ़ाई 

रावण का कर वध राम ने 

सीता को मुक्ति दिलाई 

चौदह बरस बाद घर आये

अयोध्या ने खुशियाँ मनाई

राम है मर्यादा पुरुषोत्तम 

यह बात सब के समझ आई 



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