राम गुणगान
राम गुणगान
श्रीराम है बिगड़ी बनाते,
भक्तों का जीवन संवारते।
सबकी सुनते हैं प्रभु जी,
जो प्रेम से उनको पुकारते।
शबरी ने प्रेम से देखो,
जो झूठा बेर खिलाया।
भेंट हुई श्रीराम से,
अंत में मोक्ष को पाया।
हुआ मिलन जब केवट से,
उनको गले से लगाया।
भेदभाव सब छोड़ प्रभु ने
अपना मित्र बनाया।
सीता हर ले गया रावण,
कैसी विपदा थी आई।
कर सहायता सुग्रीव की,
मित्र बने रघुराई।
ऐसे हैं प्रभु श्रीराम जी,
दुख भंजन और कृपालु।
मन से करो जो पूजन,
सुनते हैं सबकी दयालु।