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Nirupa Kumari

Romance

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Nirupa Kumari

Romance

राधा कृष्ण की होली

राधा कृष्ण की होली

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हरि संग रास रचाए राधा

हरि के रंग रंग जाए राधा

होली के रंग से जो श्याम तन को भिगाए

राधा का मन भी प्रेम रंग में रंग जाए

होली खेलन राधा कैसे जाए


पूछे, बता सखी करूं अब कौन उपाय

श्याम नटखट मोहे सताए

और श्याम बीन मोहे चैन भी ना आए

प्रेम रंग रंगी मैं

प्रेम बंधन से बंधी मैं

जाऊं भी तो किस ओर सखी

श्याम दिखत हैं चहुं ओर सखी

श्याम नहीं तो मैं भी नहीं मैं


रसिया ने यूं मोहे रंग डाला

मोरा गोरा रंग अब दिखे है श्याम सा काला

जाऊं जिधर हसत

हैं देख सब लोग लुगाई

बैरी के मोह ने मोरी लोक लाज भुलाई

अब्के जो मिलेंगे कान्हा

दूंगी उन्हें मैं जी भर ताना


आज न चलने दूंगी उनकी चतुराई

पर सखी तब क्या होगा

गर जो बैरी ने पकड़ी मोरी कलाई

शर्म से रंग जाऊंगी

या उनके अंग लग जाऊंगी


प्रेम विवश मैं जाने क्या ही कर पाऊंगी

ऐ सखी, होली खेलन मैं इस बार नहीं जाऊंगी

कान्हा को देखते ही मैं तो मोह में बंध जाऊंगी

कुछ नहीं कह पाऊंगी,कैसे उन्हें मैं रंग लगाऊंगी

सखी होली खेलन अबकेे मैं नहीं जाऊंगी।


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