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Shakuntla Agarwal

Romance

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Shakuntla Agarwal

Romance

क़सक

क़सक

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तू किसी और की रातों में चाँद बनकर,

चाँदनी बिखेरे तो क्या ?

मेरे ख़्वाबों में तेरी उतनी ही क़सक है !


तू किसी और के दिल में,

जिया तो क्या ?

मेरे ख़्वाबों में तेरा उतना ही असर है !


तेरी ज़ुल्फ़ों की ख़ुश्बू दूसरों की साँसों में,

महके तो क्या ?

तेरी ख़ुशबू का मेरे जहन में उतना ही असर है !


तेरे मतवारे नयन किसी और को मदहोश,

करें तो क्या ?

तेरी मदहोशी का मुझ पर छाया उतना ही असर है !


तेरी धड़कनें किसी और को,

पुकारें तो क्या ?

मेरा तो दिल धड़कता तेरे ही दम पर है !


लब तेरे किसी और को,

चाहें तो क्या ?

मेरा तो नाम अमर तेरे ही दम पर है !


कुछ ऐसी क़सक तूने मेरे दिल में बसा दी है,

हर साँस में "शकुन" हमने तुझे,

जीने की दुआ दी है !


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