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Harish Bhatt

Romance Tragedy

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Harish Bhatt

Romance Tragedy

प्यासा

प्यासा

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काश! सुन लेते बात तुम्हारी

तो यादों का साया न चलता साथ

परेशान करती है अनसुनी बातें

जो न कह सके तुम कभी हमसे

और जो न समझ सके कभी हम

तेरी यादों का अथाह सागर और 

मेरी आंखों से बहता अनवरत पानी

फिर भी जिंदगी मरुस्थल सरीखी

न जाने क्यों है मन मेरा प्यासा।

साया ना बोलता है ना साथ छोड़ता है

सन्नाटे को चीरते हुए निकलती है यादें

आखिर खुद से भी करें बात कितनी

काश! सुन लेते बात तुम्हारी तो

शायद परछाई नहीं, साथ होते तुम हमारे।

और ना रहती यादें तुम्हारी जहन में मेरे

ना बहती अश्रु धारा और ना रहता मन प्यासा


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