प्यारी, संघर्षों की कहानी
प्यारी, संघर्षों की कहानी
एक अकेले कदमों से, विचरते विचरते,
न जाने कब एक प्यार भरी उंगली ने थाम लिया,
लगा यूं कि सहारा मिल गया पुनः ममता का,
दूर ही सही, एक अपना सा रिश्ता सा,
वही उंगलियां संजो रही थी,
एक एक रिश्ते को प्रेम के सूत्र में,
संजो कर एक परिवार सा,
अपने ममत्व के आंचल तले,
चल चल शूलो की राह,
जब एक कंटक भी डराता था,
तब यही परिवार मुझे सहलाता था,
और आज भी,
पुनः कुछ शूलो ने जब घेरा है,
सब ओर जब घना अंधेरा है,
एक परिवार ऐसा भी है,
जहां प्रेम की डोर से उपजा,
उजला उजला सा प्रकाश है,
इसी प्रेम को सहेज तो
चल देती हूं मुस्कुराते हुए,
पुनः शूलो के पथ पर,
जो बने है मेरे लिए,
और मुस्कुराते हुए,
प्रेरणा देती है एक मां,
चलो बेटा,
जीत तुम्हारी है,
क्योंकि,
संघर्षों की हर कहानी बहुत प्यारी है।।
