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Dr Vivek Madhukar

Romance

4.7  

Dr Vivek Madhukar

Romance

प्यार

प्यार

1 min
454


नदिया मिले दरिया से,

दरिया मिले सागर से,

प्यार से

हवा मिले घन से, 

घन मिले गगन से,

प्यार से !


कोई रहता नहीं इस जहान में अकेला

ईश्वर के नियम हैं  निराले

सभी को है मिलने का हक़ अपने प्यार से

तू क्यों न मुझे अपना बना ले ?


पर्वत की  ऊँची   चोटियाँ  चूमती गगन  हैं

लहरें समुद्र की करतीं

एक-दूसरे को आलिंगनबद्ध हैं

एक-दूसरे को देख मुस्कुरा रही कलियाँ हैं


प्रेम से वे जोड़ रहीं ज़िन्दगी की लड़ियाँ हैं

धूप कर रही आलिंगनबद्ध धरा को

चूम रही चाँदनी समुद्र की लहर को


सृष्टि के सारे नियम बेकार हैं

ये सारे आलिंगन,

ये सारे चुम्बन बेकार हैं

यदि तुमने न चूम लिया मुझको

तुमने न प्यार दिया मुझको।


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