STORYMIRROR

aazam nayyar

Romance

4  

aazam nayyar

Romance

प्यार में हिज्र

प्यार में हिज्र

1 min
221

मुहब्बत की वो मुझसे ले गया अपनी निशानी है 

अधूरी प्यार की ही रह गयी दिल में कहानी है


वही करता नहीं रिश्ता मुहब्बत का क़बूल मेरा 

यहां तो जिस लिए दिल में मुहब्बत की रवानी है


गया जो तोड़ उल्फ़त के सभी वादे वफ़ाओ को 

उसी की याद दिल से ही सभी अपनें मिटानी है


नहीं जो चाहता है गुफ़्तगू करनी मुहब्बत की 

उससे उम्मीद क्या अब प्यार की यारों लगानी है


वफ़ायें क्या मुहब्बत क्या करेगा वो भला मुझसे 

मुहब्बत की हंसी मेरी उसे यूं ही उड़ानी है


दग़ा वो कर रहा वादे वफ़ा पे रोज़ ही अब तो

उसे रस्में मुहब्बत की क्या मुझसे ही निभानी है


लगा है वो गिले शिकवे करने में ही मगर मुझसे 

हाले दिल क्या उसे ही गुफ़्तगू आज़म सुनानी है! 

आज़म नैय्यर 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance