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Supriya Devkar

Romance Thriller

4  

Supriya Devkar

Romance Thriller

प्यार मे पागल

प्यार मे पागल

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मैने गिरकर जाना चोट कहा लगती है 

पर उस चोट का क्या जो दिलको लगी है 


किसको बताये उसका जख्म कितना गेहरा है

कोई दवा काम ना आये तेरी दुवा मे असर ज्यादा है


हिम्मत करके तुझे मै इतना बताना चाहता हूँ 

दिल भी तुम्हारा है और दर्द भी तुम्हीसे है


तुम्हारे प्यार मे पागल है ये दिल बेचारा 

क्यूं सताती हो थोडासा दो उसे सहारा 


मजबूर तेरे आगे पिछे घुमते रेहते है 

तेरे प्यार मे जुदाई दिन रात सेहेते है


खोल दे दिल का द्वार सखी होने दे दिदार तेरे

अब नही सेहेन होता नयन बानोके वार तेरे


समाकर लेलो अपनी बाहोमे बिखेर दो खुशियाँ

प्यार से भरदो झोली खिलने दो नादान कलियाँ।


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