प्यार की अधूरी कविता
प्यार की अधूरी कविता
जब हम मिलेंगे
क्या मेरी आँखें तुम्हारी झुकी पलकों का
मतलब समझ पाएंगी ?
पर शायद उन बन्द आँखों के पीछे के इरादों को
परख तो लेंगी हीं
मेरी उंगलियों की शरारतों को
रोक तो नही दोगी तुम ?
खैर!
मेरी बढ़ी धड़कनें तुम्हारी धड़कनों को महसूस कर ले
उतना ही काफी रहेगा
साँसों के मिलने से लेकर
होठों के मिलने तक के सफर में
दिल को संभाल तो लोगी ना तुम ?
अपनी मुस्कुराहटों पर मुझे मरता देख
इतराया तो नही करोगी ना ?
बातें थोड़ी सी तल्ख होने पर
नाक सिकोड़ के डराया तो नहीं करोगी ?
मिलने से पहले किये वादे
भूल तो नही जाओगी?
एक पल तुम्हारे साथ प्यार से होने का एहसास ही
इस अधूरी कविता को पूरा कर सकता है
मुझे उस ही एक पल का इंतज़ार है।