प्यार के कातिल
प्यार के कातिल
जिंदगी में बहुत कुछ देख लिया;
और अब नया क्या दिखाएगा,
कागज में दस्तखतः से शुरू हुया जो रिश्ता;
फिर से नई दस्तखतः से मिट जाएगा,
चंद कुछ लम्हों का था सो साथ;
यूं ही भुला देंगे सनम धीरे धीरे,
प्यार तूने तो मुझे कभी किया ही नही;
बेवकूफी था मेरी; मैने ही प्यार करके बेटा,
एक तरफा रिश्तेदारी निभाई ;
मैंने तेरे हर एक गम को मुझमें समेटा,
कितना दिन और सहता में तेरा घमंड;
डर था; कहीं नफरत ना बन जाए तू,
यही चाहूंगा खुदा से;
प्यार का कातिल कहलाए तू।

