जीवन का सच्चाई
जीवन का सच्चाई
ना जमाना दर्द देता है, नाही उसके लोग,
अगर दिल को चोट लगे, जिम्मेदार है अपने प्यारे लोग,
होती है उनसे खुशियों की उम्मीद, या पल भर का साथ,
पर क्यों चुटकी में हटा लेते हैं, अपने दिए हुए हाथ,
तब तुम उनके लाख बुराई मानो, लेकिन हिचकिचते तो होंगे,
अगर हो जाए कोई अनजान सी गलती, कूटकर रोते तो होंगे,
क्योंकि दिल में जो बिठाकर रखे हो उन्हें,
तो उस दिल का दर्द को तुम ही सहोगे,
अब यही जीवन की सच्चाई, ये मान के चलो तुम,
ना लगाओ किसी से कुछ उम्मीद,
क्योंकि अंत में खुद ही पछताओगे तुम।
