ज़िन्दगी हो तुम
ज़िन्दगी हो तुम
मुर्दा इंसान थे हम बस सांस ही चल रहा था
पर आई हो जबसे तुम ज़िन्दगी में
नई खलबली सा मच गया,
पहले भी सांस लेते थे हम जीना जो था ज़िन्दगी में
लेकिन ज़िन्दगी जो सभरने लगा अब
नया उम्मीद तुमने जगाया अब तेरे लिए जीना ही मेरा नया बहाना था,
सुक्रियता नहीं करना है आपसे आखिर अपने से कौन सुक्रियाता करता है
बस यही मंगुगी तुझे प्यार करने की हक बस मुझे मिलता रहे।