प्यार का श्रृंगार।
प्यार का श्रृंगार।
ना जाने पवन के झोंकों ने।
तुम्हारी सांसों की खुशबू से मिला दिया।
आज थी तुम्हारी इस दिल में,
ना जाने इन नयनों ने तुमसे दीदार करा दिया।
दर-दर भटक रहा था मन मेरा,
जिसे तुम्हारी जुल्फों ने पनाह दिया।
बहुत प्यासा था मन मेरा,
जिसे तुम्हारी होठों ने मीठा जा़म पिला दिया।
अकेला भटक रहा था ये दिल मेरा,
जिसे तुमने अपने दिल से मिला लिया।
परी हो तुम जन्नत की।
खुदा ने हुस्न की बाग में बिठा लिया।

