हौसलों की उड़ान
हौसलों की उड़ान
यह सोचकर क्यों बैठे हो
यह हौसलों की उड़ान सिर्फ परिंदों को होती है।
यह भूल कर क्यों बैठे हो
यह हौसलों की आग तुम्हारे भीतर भी हैं।
यह भूल मत करना
यह आसमान सिर्फ परिंदों का है।
यह आसमान भी तेरा है
यह जमीं भी तेरी है।
बस हौसला हो बुलंद तो
यह सरजमीं भी तेरी है।
दुख की आग में जलना
कष्टों की राह में चलना।
फिर भी अपने भीतर की आग
कभी बुझने न देना।
जीवन की सफलता की सीढ़ी का
एक ही सोपान है।
अपने भीतर का जुनून और ख्वाब को
हौसलों की आग से कभी बुझने न देना।